प्रथम सूचना रिपोर्ट ( First Information Report ) दर्ज करवाना हर पीड़ित का अधिकार है बल्कि पीड़ित ही नहीं एफ आई आर कोई भी व्यक्ति दर्ज करवा सकता है यह अधिकार हमें दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 154 द्वारा प्रदान किया गया है। कोई भी ऐसी घटना जिससे कि किसी संज्ञेय अपराध का घटित होना पाया जाता है । उस स्थिति में पीड़ित या पीड़ित का कोई संबंधी या अन्य कोई समाज का व्यक्ति भी पुलिस थाने के भार साधक अधिकारी ( SHO ) को लिखित रूप में या फिर यदि वह पढ़ा लिखा नहीं है, तो मौखिक रूप में भी सूचित कर सकता है। यदि किसी भी संज्ञेय अपराध की सूचना पुलिस थाने के भार साधक अधिकारी को मौखिक रूप में दी जाती है तब वह उसको लेख बंद्ध करेगा या फिर अपनेे अन्य किसी अधीनस्थ कर्मचारी को लिखने निर्देश देेेेेेगा और ऐसी सूचना लिखने के बाद सूचना देनेे वाले व्यक्ति को पढ़कर सुनाई जाएगी । प्रत्येक ऐसी सूचना चाहेे वह लिखित रूप में दी जाए या मौखिक रूप में, उस पर सूचना देनेेेेे वाले व्यक्ति के
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हस्ताक्षर अवश्य कराए जाएंगे और उसकी एक प्रतिलिपि निशुल्क प्रदान की जाएगी । एफ आई आर से संबंधित सभी फॉर्मेलिटीस पूरी हो जाने के बाद उसको जनरल डायरी जिसे राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाता है, में क्रमांक सहित दर्ज किया जाएगा । यह सुविधा बिल्कुल निशुल्क होती है तथा FIR की एक प्रतिलिपि सूचना देने वाले व्यक्ति को निशुल्क प्रदान की जाती है । अब बहुत से राज्यों में एफ आई आर ऑनलाइन भी दर्ज करवाई जा सकती हैं ।ऑनलाइन एफ आई आर दर्ज करवाते समय सूचना देने वाले व्यक्ति को अपना मोबाइल नंबर और ईमेल एड्रेस भी देना होता है । जिससे कि पुलिस सूचना देने वाले व्यक्ति से संपर्क कर सके । ऑनलाइन सूचना देने पर पुलिस 24 घंटे के अंदर आपसे संपर्क करती है ।
परन्तु यदि ऐसी सूचना किसी महिला के विरूद्ध हुए अपराध SECTION 326 A, 326 B, 354 354 A 354 B, 354 C, 354 D, 376, 376 A, 376 B, 376 C, 376 D, 376 E या 509 IPC से संबंधित होती है, तो ऐसी सूचना किसी महिला अधिकारी द्वारा ही दर्ज की जाएगी और उस पीड़ित महिला को कानूनी सहायता और स्वास्थ्य संबंधी सहायता भी उपलब्ध करवाई जाएगी ।
Section 154 CR.P.C (3) :- यदि पुलिस थाने का भार साधक अधिकारी / एसएचओ ऐसी सूचना दर्ज करने से मना कर देता है, तो सूचना देने वाले व्यक्ति /पीड़ित व्यक्ति के पास यह अधिकार होता है कि वह ऐसे मामले की सूचना पुलिस अधीक्षक / सुपरिंटेंडेंट ऑफ़ पुलिस को दे सकता है और यदि पुलिस अधीक्षक को यह लगता है कि उपरोक्त मामले में एफ आई आर दर्ज की जानी आवश्यक है, तो वह स्वयं उस मामले की विवेचना कर सकता है या अपने किसी अधीनस्थ अधिकारी को विवेचना करने के लिए आदेशित कर सकता है और उस अधिकारी के पास वे सभी अधिकार होंगे जो कि पुलिस थाने के भार साधक अधिकारी के पास होते है ।
It is the right of every victim to file a First Information Report, but any person can register an FIR, not only the victim, but this right is given to us by Section 154 of Criminal Procedure Code 1973. Any such event that a cognizable offense is found to occur. In that case, the victim or any relative of the victim or any other person of the society can also inform the Police Officer in charge of the police station (SHO) in writing or if it is not written, in verbal form. If any cognizable offense is reported orally to the officer-in-charge of the police station, then he will close the article or instruct him to write to any other subordinate employee and after writing such a notice read the person giving the information Will go. Every such information, whether it is given in writing or in oral form, to the person giving information thereon
Signatures will be provided and a copy will be provided free of charge. After completion of all the formalities related to the FIR, it will be recorded in the General Diary which is made available by the State Government along with the serial number. This facility is absolutely free and a copy of the FIR is provided free of cost to the person giving the information. Now in many states FIRs can also be registered online. The person giving information at the time of filing the FIR online also has to provide his mobile number and email address. So that the police can contact the person giving the information. The police contact you within 24 hours upon giving information online.
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But if such information related to crime against a woman Under SECTION 326 A, 326 B, 354 354 A 354 B, 354 C, 354 D, 376, 376 A, 376 B, 376 C, 376 D, 376 E or 509 IPC If this happens, such information will be recorded by a woman officer and legal aid and health related assistance will also be provided to that victim.
Section 154 CR.PC (3): – If the Police Officer / SHO of the police station refuses to file such information, the person giving information / victim has the right to inform the police about such a case. Superintendent / Superintendent of Police and if the Superintendent of Police feels that an FIR is required to be registered in the above case, he can inquire into the matter himself or to consider any of his subordinate officers Can order and that officer will have all the rights which are with the officer in charge of the police station.
जब पुलिस आपकी न सुने , आपकी FIR दर्ज करने से मना कर दे ! तब आपके पास क्या अधिकार है :-
जब पुलिस आपकी न सुने , आपकी FIR दर्ज करने से मना कर दे ! तब आपके पास क्या अधिकार है :-
very nice information given by you sir i hope it usefull for so many people who read this .. thanks and carry on this such important details ..