उत्तराखंड हाई कोर्ट ने एक आरोपी का कथित तौर पर पक्ष लेने और उसके वाहन का इस्तेमाल करने के आरोप में निलंबित न्यायिक अधिकारी को किया बहाल।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने तत्कालीन सिविल जज (सीनियर डिविजन), जिला अल्मोड़ा, अभिषेक कुमार श्रीवास्तव, को बहाल कर दिया है, जिनको अभियुक्त चंद्रमोहन शैठी के वाहन का इस्तेमाल के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया था।
![]() |
Google search |
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने दिनांक 22 फरवरी 2021 सिविल जज (सीनियर डिविजन) अभिषेक कुमार श्रीवास्तव को सस्पेंड करते हुए डिस्ट्रिक्ट जजशिप हेड क्वार्टर देहरादून से अटैच कर दिया था। अब उत्तराखंड हाई कोर्ट द्वारा उक्त मामले में उन्हें बहाल करते हुए अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (चतुर्थ) के रूप मे देहरादून में नियुक्त कर दिया गया है।
दिनांक 28 मई 2021 को उत्तराखंड हाई कोर्ट ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए कहा कि ” श्री अभिषेक कुमार श्रीवास्तव तब के सिविल जज (सीनियर डिविजन), अल्मोड़ा जिन्हें कार्यालय ज्ञापन संख्या (Vide Office-Memorandum No) 10/03-I/UHC/Vig./2021 दिनांक :- 22.02.2021 के तहत निलंबित कर दिया गया था, अब उन्हें कार्यालय ज्ञापन संख्या (Vide Office-Memorandum No) 35/UHC/Admin.A/2021 दिनांक 28.05.2021 के तहत बहाल करते हुए उनकी नियुक्ति अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, चतुर्थ के रूप में देहरादून में की जाती है।
प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ आरोप था कि उन्होंने और उनके परिवार के सदस्यो ने गाजियाबाद, दिल्ली और नोएडा स्थित अपने रिश्तेदारों के यहां जाने के लिए एक प्राइवेट व्हीकल का इस्तेमाल किया था जो कि अभियुक्त चंद्र मोहन सेठी का था।
हाईकोर्ट ने कहा कि इस बात पर ध्यान दिया जा सकता है कि अभियुक्त चंद्रमोहन सेठी (जिनके निजी वाहन का कथित तौर पर अधिकारी और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा उपयोग किया जाता हैं) एक अपराधी है जिसके आपराधिक मामले सिविल जज (सीनियर डिविजन)/ ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट, अल्मोड़ा के न्यायालय में विचाराधीन थे, जिसके पीठासीन अधिकारी श्री अभिषेक कुमार श्रीवास्तव थे।
माननीय उच्च न्यायालय ने दिनांक 22 फरवरी 2021 को अपने कार्यालय से एक महत्वपूर्ण ज्ञापन जारी करते हुए कहा कि
” श्री अभिषेक कुमार श्रीवास्तव सिविल जज (सीनियर डिविजन)/ ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट, अल्मोड़ा के खिलाफ एक गंभीर शिकायत प्राप्त हुई है, जिस पर अनुशासनात्मक कार्यवाही विचारणीय है, उसे तत्काल प्रभाव से निलम्बित किया जाता है। “
We have drafted a series of short question papers to test your knowledge on various subjects of Law.
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया था कि अभिलेख के अवलोकन करने पर यह पाया गया कि वह “आरोपी श्री चंद्र मोहन सेठी का पक्ष ले रहा है और उसका पक्ष लेने के लिए, बिना किसी कारण के उसके मामले को अलग कर दिया।”
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने ज्ञापन में आगे कहा कि, “ उपरोक्त उल्लेखित कृत्य और अभिषेक कुमार श्रीवास्तव सिविल जज (सीनियर डिविजन)/ ज्यूडिशल मजिस्ट्रेट, अल्मोड़ा का आचरण उसकी सत्य निष्ठा पर गंभीर सन्देह उत्पन्न करता है, गंभीर कदाचार के बराबर है और उक्त कृत्य उत्तराखंड गवर्नमेंट सर्वेंट कंडक्ट रूल्स 2002 नियम 3 (1), 3(2) और नियम 30 का उल्लंघन करता है, ऐसा आचरण न्यायिक अधिकारी के लिए अशोभनीय है। “