CHAPTER – 16 भ.द.स 1860
SUBJECT – दहेज मृत्यु धारा 304 ख
दहेज मृत्यु जब किसी विवाहित महिला की मृत्यु शादी के 7 वर्ष के भीतर सामान्य परिस्थितियों से भिन्न जैसे किसी शारीरिक क्षति द्वारा या जलने से हो जाती है और यह बात प्रतीत होती है कि उसकी मृत्यु से कुछ समय पूर्व उसके पति या पति के किसी रिश्तेदार द्वारा उस स्त्री को दहेज की मांग के नाम पर तंग या परेशान किया गया था, उसके साथ क्रूरता की गई थी चाहे वह शारीरिक रूप से हो या मानसिक रूप से। तब ऐसा कृत्य भारतीय दंड संहिता की धारा 304 ख के अंतर्गत दहेज मृत्यु समझा जाएगा और उसी के अंतर्गत दंडनीय अपराध होगा और ऐसा कृत्य करने वाला व्यक्ति कम से कम 7 वर्ष और अधिकतम आजीवन कारावास तक के दण्ड से दंडित किया जा सकेगा ।
क्रूरता इस धारा के प्रयोजनों के लिए क्रूरता से निम्नलिखित अभिप्रेत है –
जानबूझकर किया गया ऐसा कोई आचरण या कृत्य ” चाहे वह मानसिक हो या शारीरिक ” जिससे वह स्त्री आत्महत्या कर ले या फिर उसकी मृत्यु कारित हो जाए, ऐसा आचरण दहेज हत्या के संबंध में की जाने वाली क्रूरता समझी जाएगी।
Burden of proof ऐसी मृत्यु शादी के 7 वर्ष के भीतर ही हुई है यह साबित करने की जिम्मेदारी भी अभियोजन पक्ष पर ही होगी जो कि एक बहुत ही महत्वपूर्ण तथ्य है।
Ingredients Shanti VS. State of Haryana, मे माननीय उच्चतम न्यायालय ने कुछ महत्वपूर्ण तथ्य निर्धारित किए है –
[ ] किसी स्त्री की मृत्यु जल जाने से या शारीरिक क्षति से या सामान्य परिस्थितियों से भिन्न किसी कारण से हुई हो।
[ ] ऐसी मृत्यु उसके विवाह से 7 वर्ष के अंदर हुई हो।
[ ] उसे उसके पति या उसके पति के किसी रिश्तेदार द्वारा दहेज की मांग को लेकर के प्रताड़ित किया गया हो या उसके साथ क्रूरता की गई हो।
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