In Gulshan kumar murder case गुलशन कुमार हत्याकांड में मुंबई हाई कोर्ट ने अब्दुल राशिद दाऊद मर्चेंट को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
जस्टिस श्रीमती साधना एस.जाधव और जस्टिस एन. आर. बोरकर की बेंच उक्त मामले की सुनवाई कर रही थी। बेंच ने अतिरिक्त सत्र न्यायधीश, ग्रेटर मुंबई द्वारा केस नंबर 15/1998 में अभियुक्त अब्दुल राशिद दाऊद मर्चेंट को सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा के आदेश को बरकरार रखा। मशहूर गायक गुलशन कुमार दुआ की हत्या करने के जुर्म में अतिरिक्त सत्र न्यायधीश, ग्रेटर मुंबई ने अंतर्गत धारा 302/307/34 भारतीय दंड संहिता, 1860 धारा 27 आर्म्स एक्ट में दिनांक 29 अप्रैल 2002 को अपीलकर्ता मोहम्मद राशिद दाऊद मर्चेंट को दोषी करार दिया था। माननीय न्यायालय द्वारा अपीलकर्ता को धारा 120 बी भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत भी दोषी करार दिया।
यहां पर आपकी जानकारी के लिए बता दें कि किसी मानव की हत्या करना धारा 302, हत्या करने का प्रयास करना धारा 307, एक से अधिक व्यक्तियों के द्वारा एक राय होकर आपराधिक गतिविधि में भाग लेना धारा 34, और आपराधिक षड्यंत्र का हिस्सा होना धारा 120 बी भारतीय दंड संहिता, 1860 के अंतर्गत अपराध अधिनियमित किए गए हैं।
हत्या के आरोप में दोषी अभियुक्त मोहम्मद राशिद दाऊद मर्चेंट को अतिरिक्त सत्र न्यायधीश, ग्रेटर मुंबई के द्वारा अन्तर्गत धारा 392 लूट, धारा 397 हत्या या घोर आघात पहुंचाने के प्रयास के साथ लूट या डकैती जैसे जघन्य अपराध को अंजाम देना जैसे गम्भीर आरोपो में भी दोषी करार दिया था लेकिन माननीय उच्च न्यायालय ने उक्त आदेश को निरस्त करते हुए अभियुक्त को उक्त अपराध में दोषी नहीं माना।
माननीय उच्च न्यायालय ने यह भी माना कि ऐसा कोई साक्ष्य पत्रावली पर मौजूद नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि टिप्स म्यूजिक कंपनी के डायरेक्टर रमेश तौरानी ने म्यूजिक डायरेक्टर नदीम सैफी और अबू सलेम के साथ मिलकर गुलशन कुमार की हत्या के लिए कोई षड्यंत्र रचा था। इसलिए निचली अदालत द्वारा रमेश तौरानी को उक्त मामले में बरी कर दिया था। जिसमें माननीय उच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप करना उचित नहीं समझा।
अभियोजन पक्ष के चश्मदीद गवाह रामचंद्र लावणगरे ने माननीय न्यायालय के समक्ष दी अपनी गवाही में बताया था कि एक अज्ञात हमलावर ने मृतक की कमर और छाती में गोली मारी और तुरंत मौके से भाग गया। गवाह ने अपने ब्यान में आगे बताया कि पीठ और छाती में गोली लगने के बाद गुलशन कुमार Raundal’s House की तरफ जाने का प्रयास कर रहे थे और तभी दूसरा व्यक्ति स्टॉल की तरफ से आया और मृतक पर फायर की, इसी दौरान एक और व्यक्ति ने ऑटो रिक्शा के पीछे से मृतक पर गोलियां चलाई। तीसरे व्यक्ति ने अभियोजन पक्ष के सातवें गवाह और मृतक के ड्राइवर रूपलाल पर भी उस समय गोली चलाई जब वह मृतक को बचाने का प्रयास कर रहा था।
In Gulshan kumar murder case
High Court – माननीय उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह अवधारित किया कि आपराधिक न्याय शास्त्र का यह स्थापित सिद्धांत है कि यदि कोई आपराधिक कृत्य एक से अधिक व्यक्तियों के द्वारा एक राय रखते हुए पूर्वविमर्श कर किया जाता है तो उनमें से प्रत्येक व्यक्ति जिसने उस आपराधिक कृत्य के लिए समान राय रखी थी वह उस कृत्य के लिए दोषी माना जाएगा।
Section 34 IPC Acts done by several persons in furtherance of common intention.—When a criminal act is done by several persons in furtherance of the common intention of all, each of such persons is liable for that act in the same manner as if it were done by him alone.
माननीय उच्च न्यायालय ने माना कि जहां मृत्यु कई अभियुक्तों में से किसी एक के द्वारा किसी कृत्य या कृत्यों की श्रृंखला की वजह से कारित हुई थी। वहां ऐसा अपराध धारा 34 के अनुसार उनके द्वारा किया गया माना जाता। यदि विभिन्न अभियुक्तो के द्वारा किए गए विभिन्न कृत्यों से उसी समय और स्थान पर मृत्यु कारित होती है तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि उक्त कृत्य धारा 34 आईपीसी के अंतर्गत आएगा।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मृतक गुलशन कुमार को कुल 12 गोलियां मारी गई। जिसमें से 10 शरीर को भेदते हुए बाहर निकल गई और दो अंदर ही रह गई। अभियोजन पक्ष के अनुसार पुलिस ने घटनास्थल से बुलेट के अट्ठारह खाली खोके और छः बुलेट बरामद किए।
Law of Crimes – Multiple Choice Questions
अभियोजन पक्ष के अनुसार मृतक के शरीर पर थी इतनी चोटे
मृतक की कमर और छाती पर ही चोट नहीं थी बल्कि अन्य जगहों पर भी चोटे थी जैसे कि
(1) lower lateral side of left leg above ankle;
(ii) entry wound on right leg; (iii) a shot wound on right thumb;
(iv) an entry wound on lateral aspect of right gluteal region; (v) an exit wound below left angle of mandible and on right side of forehead;
(vi) iliac crest and iliac spine and also on right lateral aspect of buttocks.
आदेश
(1) माननीय उच्च न्यायालय द्वारा मोहम्मद राशिद दाऊद मर्चेंट को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए ₹5000 रूपए का आर्थिक दंड भी लगाया।
(2) यह कि अभियुक्त अब्दुल राशिद दाऊद मर्चेंट के द्वारा उक्त मामले के विचारण के दौरान जेल में बिताई गई अवधि को भी समायोजित किया जाएगा।
(3) यह कि जमानत के दौरान उसके द्वारा भरे गए बेल बांड निरस्त माने जाएंगे।
(4) यह कि अभियुक्त अब्दुल राशिद दाऊद मर्चेंट सत्र न्यायालय या डीएन नगर पुलिस स्टेशन के समक्ष तत्काल समर्पण करेगा। समर्पण करने पर अभियुक्त अपना पासपोर्ट भी पुलिस अथॉरिटी के समक्ष जमा करेगा। यदि वह 1 हफ्ते के अंदर समर्पण नहीं करता है तो सत्र न्यायालय उसके खिलाफ non-bailable वारंट जारी करेगा और उसे कस्टडी में लेगा।
Heinous crimes such as under 376 IPC, can not be compounded or proceedings, can not be quashed merely because the prosecutrix decides to marry the accused: Allahabad High Court
Brief Facts Of The Case (मामले के संक्षिप्त तथ्य):-
गौरतलब है कि सुपर कैसेट इंडस्ट्री के मैनेजिंग डायरेक्टर गुलशन कुमार दुआ जोकि हिंदी फिल्मो के ऑडियो कैसेट्स के अधिकार खरीदते थे। गुलशन कुमार दुआ टी-सीरीज कंपनी के संस्थापक और कई फिल्मों के निर्माता भी थे। जिनकी हत्या 12 अगस्त, 1997 को दिनदहाड़े जीत नगर, अंधेरी वेस्ट (मुंबई) स्थित शिव मंदिर के बाहर कर दी गई थी। उस दिन वे सुबह 10:00 बजे रोजाना की तरह शिव मंदिर गए थे। उन्होंने उस मंदिर का 1976 में रिनोवेशन कराया था। और तब से ही वह रोजाना दिन में दो बार सुबह 10:00 बजे और शाम को 6:00 बजे मंदिर आते थे। उस दिन भी वह अपनी लाल रंग की Opel कार से ड्राइवर रूपलाल के साथ मंदिर पहुंचे। शिव मंदिर मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष रामचंद्र लावनगरे ने रोजाना की तरह उन्हें रिसीव किया। 15 मिनट पूजा करने के बाद जब वह अपनी कार में बैठने के लिए वापस जाने लगे जोकि मंदिर से 6-7 फीट की दूरी पर उन्होंने नवकिरण रोड की तरफ पार्क की थी। जैसे ही गुलशन कुमार ने अपनी कार का दरवाजा खोला तभी पहले से ही इंतजार कर रहे व्यक्ति ने उनकी पीठ से पिस्तौल छुआकर तेजी से गोलियों की बौछार कर दी। आश्चर्यचकित होकर जैसे ही गुलशन कुमार पीछे मुडे तो उनकी छाती पर भी गोलियां लगी। इसी दौरान वह लगभग धराशाई होने को थे तो दूसरे हमलावर ने भी बुलेट से हमला किया। वह अभी भी अपने आप को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे और Raundal’s Bungalow के गेट की तरफ कुछ कदम चले तभी तीसरे हमलावर ने उन पर दोबारा बुलेटस की बौछार कर दी। इसी दौरान जब उनके ड्राइवर ने उन्हें बचाने का प्रयास किया तो हमलावरों ने ड्राइवर को भी गोली मार दी जो कि उसके सीधे पैर की जांघ में लगी। शिव मंदिर मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष (अभियोजन साक्षी संख्या 1) रामचंद्र लावनगरे ने उन्हें गाड़ी की पिछली सीट पर लिटाया और राजेश जौहरी (अभियोजन साक्षी संख्या 3) से गाड़ी को चलाकर कोपर हॉस्पिटल ले जाने के लिए कहां और स्वयं ऑटो रिक्शा से गाड़ी के पीछे-पीछे कोपर हॉस्पिटल पहुंचे। इसी दौरान किसी व्यक्ति के द्वारा पुलिस को भी सूचना दी गई और पुलिस इंस्पेक्टर रश्मि जाधव कोपर हॉस्पिटल पहुंची। डॉक्टर्स के द्वारा गुलशन कुमार को मृत घोषित करार कर दिया गया। इसके बाद वह वापस पुलिस स्टेशन पहुंची और अंतर्गत धारा 302/307/34 आईपीसी व 25 आर्म्स एक्ट के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी।