लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही शादी-शुदा महिला को राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस सुरक्षा प्रदान करने से इंकार कर दिया।
क्या है मामला :- तैतीस वर्षीय शादी-शुदा महिला अवैध रूप से चौबीस वर्षीय पुरूष के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही है। लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे कपल्स ने ससुराल पक्ष के लोगो व अन्य से जान-माल का खतरा होने का दावा करते हुए माननीय उच्च न्यायालय राजस्थान के समक्ष दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 482 के अंतर्गत जीवन की सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता हेतु पुलिस सुरक्षा प्रदान किए जाने हेतु याचिका दाखिल की। याचीगण का दावा है कि याची संख्या एक को उसके ससुराल पक्ष के लोगो ने जबरन वैवाहिक-घर से बाहर निकलने के लिए मजबूर किया।
राजस्थान हाईकोर्ट की अवधारणा :- राजस्थान हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा Smt. Aneeta & Anr. Vs. State of U.P. & Ors. (Writ C.No.14443/2021) के मामले मे सुनाए गए आदेश का समर्थन किया जिसमे माननीय उच्च न्यायालय, उत्तर प्रदेश ने यह अवधारित किया है कि इस देश के सामाजिक ताने-बाने और संस्कृति-संस्कार की कीमत पर लिव-इन रिलेशनशिप को तरजीह नही दी जा सकती। लिव-इन रिलेशनशिप मे अवैध रूप से रह रहे याचीगण को पुलिस सुरक्षा प्रदान किए जाने का हमारा आदेश अप्रत्यक्ष रूप से इस प्रकार के अवैध सम्बन्धो को हमारी सहमति प्रदान कर सकता है।
उपरोक्त कानूनी स्थिति को देखते हुए माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय ने लिव-इन रिलेशनशिप मे रह रहे याचीगण की पुलिस सुरक्षा की प्रार्थना को अस्वीकृत कर याचिका को खारिज कर दिया।
माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि हालांकि, यदि याचिकाकर्ताओं के साथ कोई अपराध घटित किया जाता है तो वे संबंधित पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए स्वतंत्र हैं या कानूनी सहारा ले सकते हैं।
जस्टिस सतीश कुमार शर्मा
माननीय उच्च न्यायालय राजस्थान (जयपुर खंड पीठ)
आदेश दिनांक:- 13/08/2021