The Hindu Marriage Act, 1955 in English:-
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हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 पूरे भारत में लागू होता है और दिनांक 30 अक्टूबर 2019 से यह अधिनियम जम्मू और कश्मीर में भी लागू होने लगा है। इस अधिनियम मे कुल 30 धाराएं हैं जोकि मुख्य रूप से छः भागो मे बांटा गया है।
(1) प्रारम्भिक (Preliminary)
Section (1-4)
(2) हिन्दू विवाह (Hindu Marriages )
Section (5-8) हिंदू विवाह की शर्तें एवं हिंदू विवाह का रजिस्ट्रीकरण आदि से संबंधित प्रावधान दिए गए।
(3) दांपत्य अधिकारों का प्रत्यास्थापन और न्यायिक पृथक्करण (Restitution of Conjugal rights & Judicial Separation)
Section (9-10)
(4) विवाह की अकृतता और विवाह-विच्छेद (Nulity of Marriage & Divorce
Section (11-18)
(5) अधिकारिता और प्रक्रिया (Jurisdiction & Procedure)
Section (19-28) इस भाग में मुख्य रूप से यह बताया गया है कि हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 से संबंधित वाद किस न्यायालय के समक्ष दाखिल किए जा सकते हैं और उनकी प्रक्रिया क्या होगी।
(6) Savings & Repeals
Section (29-30)
The Hindu Marriage Act, 1955 was intended to secure the rights of marriage for the bride and groom who are Hindu and are bound under the sacred bond of marriage under any ceremony. The law does not define the kind of ceremony since there are several ways a man and a woman may carry out this religious act. This act was floated after several cases were seen where both man and woman were petrified or humiliated under a fraud case in the name of marriage. This act is binding to any person who is Hindu, Jain, Sikh and Buddhists and is not a Muslim, Christian, Parsi or Jew and is governed by some other law. This law is binding to any person who is Hindu by Birth or Hindu by Religion. There is a complete definition of Hindu under Section 2 of Hindu Marriage Act.
वैधानिक अवधि में हुए अवकाश भी धारा 167(2) के तहत डिफॉल्ट जमानत में गिने जाएंगे – छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट
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