तलाक के बिना एक पुरुष दूसरी महिला के साथ कैसे रह सकता है, क्या यह अब भारतीय कानून में अपराध नहीं है?
भारतीय दंड संहिता,1860 की धारा 497 (जारकर्म) के अनुसार जो कोई ऐसे व्यक्ति के साथ, जो कि किसी अन्य पुरुष की पत्नी है और जिसका किसी अन्य पुरुष की पत्नी होना वह जानता है या विश्वास करने का कारण रखता है, उस पुरुष की सम्मित या मौनानुकूलता के बिना ऐसा मैथुन करेगा जो बलात्संग के अपराध की कोटि में नही आता, वह जारकर्म के अपराध का दोषी होगा, और दोनो में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अविध पांच वर्ष तक की हो सकेगी, या जुमार्ने से, या दोनो से, दण्डित किया जाएगा । ऐसे मामले मे पत्नी को दुष्प्रेरक के रूप में दण्डित नही किया जा सकेगा।
माननीय उच्चतम न्यायालय की पांच जजो की संवैधानिक पीठ
J&K fast track court sentenced a judge to 10 years rigorous imprisonment after finding him guilty in a rape & cheating case
व्याभिचार अथवा जारकर्म पूर्व में भारतीय दंड संहिता,1860 के अनुसार दंडनीय अपराध था लेकिन माननीय उच्चतम न्यायालय की पांच जजो की संवैधानिक पीठ द्वारा Joseph Shine vs Union of India की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिनांक 27/09/2018 को आदेश पारित कर भारतीय दंड संहिता की धारा 497 और सीआरपीसी,1973 की धारा 198(2) (जिसमें I.P.C के अध्याय XX के तहत अभियोजन की प्रक्रिया शामिल है। केवल उस सीमा तक असंवैधानिक होगा जब तक कि यह धारा 497 के तहत व्यभिचार के अपराध पर लागू होता है।) की धारा को संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन होने के कारण असंवैधानिक घोषित कर दिया।
व्यभिचार निस्संदेह जीवनसाथी और परिवार के लिए नैतिक रूप से गलत है। लेकिन अनुच्छेद 21 के तहत निजता के अधिकार में दो वयस्कों के विवाह के बाहर यौन संबंध बनाने का अधिकार शामिल होगा। इस प्रकार धारा 497 IPC (जारकर्म) का अपराध भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।
अतः अपने जीवन साथी से बिना तलाक लिए भी व्यक्ति दूसरी महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह सकता है जोकि अब किसी भी प्रकार का अपराध नहीं माना जाएगा लेकिन इसमें कुछ महत्वपूर्ण बाते है।
तलाक के बिना एक पुरुष दूसरी महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप रह सकता है :-
(1) जिस महिला के साथ व्यक्ति लिव इन रिलेशनशिप में रह रहा हैं वह 18 वर्ष की उम्र पूरी कर चुकी हो।
(2) लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला की सहमति होनी चाहिए और उस स्त्री की सहमति बिना किसी जोर- जबरदस्ती और छल कपट के होनी चाहिए।
(3) लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली स्त्री, सहमति देते समय मानसिक रूप से स्वस्थ हो और उसके परिणामों को समझने मे समर्थ हो।
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